Tuesday, 26 December 2017

*कर्ज के चलते फिर एक किसान ने मौत को लगाया गले* *शव को हाइवे पर रखा, किसानों में भारी आक्रोश*


*कर्ज के चलते फिर एक किसान ने मौत को लगाया गले* 


 *शव को हाइवे पर रखा, किसानों में भारी आक्रोश* 


पवित्र समय न्यूज़


  1. हरदा/टिमरनी। प्राकृतिक आपदाओं से फसले बर्बाद तो कही प्रशासन और सरकार की दमनकारी नीति नियमो से परेशान किसान अब मोत को गले लगा रहा । पुरे प्रदेश में प्रतिदिन किसान आत्महत्या कर रहा है। और हरदा जिले में कई किसानों ने कर्ज के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली । और  किसान विरोधी नीतियों के आगे एक किसान अपनी जान हार गया,और मंगलबार को फिर हरदा जिले के किसान  अंतर सिंह राजपूत खोड़या खेड़ी तहसील टिमरनी ने कर्ज से परेशान और समय पर खाद और नहर में पानी नही मिलने के कारण उसने आत्महत्या कर ली । भारतीय किसान यूनियन ने किसान की मदद और कर्ज माफी की मांग रखते हुए एवं मृतक की माँ को तुरंत सहायता राशि प्रदान करने की मांग की एवं नेशनल हाईवे 59 ओर चक्काजाम किया । देर रात्रि तक किसान हाइवे पर शव को रखकर जिला प्रशासन और सरकार के प्रति अपना विरोध कर रहे थे। किसानों में भारी आक्रोश देखा गया। किसान संग़ठन सहित हरदा विधायक रामकिशोर दोगने कांग्रेस जिलाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण पंवार, किसान नेता हरिओम पटेल, एवं युवराज अभिजीत शाह भी टिमरनी में  देर रात्रि तक धरना स्थल पर थे। बिभिन्न सामाजिक संगठन एवं किसान संगठ

    नों ने घटना की तीव्र निदा की और सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की। ज्ञात हो की हरदा विधायक रामकिशोर दोगने ने विगत दिनों  मुख्ययमंत्री को पत्र लिखकर किसानों से विभिन्न प्रकार की हो रही कर्ज वसूली स्थगित करने की मांग की थी लेकिन प्रदेश के मूखिया शिवराज सिंह एवं जिला कलेक्टर ने इस और कोई ध्यान नही दिया।


 *समर्थन मूल्य पर बिका उड़द और मूंग का नही मिला पैसा* 


राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ जिला अध्यक्ष रामनिवास खोरे ने घटना की निदा करते हुए कहा कि जिले की सिराली तहसील क्षेत्र के सेकड़ो किसानों ने पांच महीने पहले समर्थन मूल्य पर मुंग बेचा था। जिसका पैसा पांच महीने बीत जाने के बाद भी किसानों के खातों में नही आया।ं खेती में खाद बिज के लिए किसान के पास पैसा नही है।ऊपर से बैंको का दबाव और साहूकारों की गाली और ताने क्षेत्र का किसान सुन रहा है। और निर्दयी सरकार और लाचार प्रशासन कोई ध्यान नही दे रहा है। जिसके कारण किसानों में भारी आक्रोश है। अगर ऐसे ही हालात रहे तो किसान संगठन आने वाले समय में बड़ा आंदोलन की और रुख कर सकती है।


 *जिले में अल्प बारिश के चलते नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगाया लेकिन जिला सूखा ग्रस्त घोषित नही किया* 


यह केसा फरमान एक और अल्पबर्षा के कारण हरदा जिले में नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगा दिया। निश्चित है कि जब अल्पबर्षा हुई तो फसले भी बर्बाद हुई । और बर्बाद खराब फसलो को लेकर जिले के किसान संग़ठन और कांग्रेस द्वारा जिला कलेक्टर,कृषि मंत्री, और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपे और हरदा जिले को सुखाग्रस्त घोषित करने की मांग की कर्ज वसूली स्थगित करने की मांग की लेकिन जिला प्रशासन और सरकार ने कोई ठोस कदम नही उठाया। किसानों को आर्थिक मदद नही की फसलों का मुहाबजा नही मिला उलटे किसानों से बैंक वसूली, बिजली वसूली, राजस्व वसूली के नाम पर दनादन नोटिस धमाया। अभी एक महीने पहले ही हंडिया थाने में एक किसान ने बिजली बिल बकाया होने के कारण मोत को गले लगा लिया क्योकि डायल 100 का पुलिस का एक जबान नोटिस लेकर किसान के घर गया था। और आज फिर जिले के एक किसान ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली जिसका कारण भी कर्ज ही है। आखिर कब तक किसान मोत को गले लगायेगा और सत्तापक्ष नेता ठेकेदार बनकर उनकी लाशों पर रोटियां सेकते रहेंगे।

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