Tuesday, 19 December 2017

*मिश्रित खेती कर खेती में नए आयाम स्थापित किये युवा किसान अतुल बारंगे ने* *इंजीनियरिंग की नोकरी छोड़ खेती को बनाया लाभ का धंधा*


*मिश्रित खेती कर खेती में नए आयाम स्थापित किये युवा किसान अतुल बारंगे  ने* 


 *इंजीनियरिंग की नोकरी छोड़ खेती को बनाया लाभ का धंधा* 


पवित्र समय न्यूज़

 *हरदा* / अगर इंसान में किसी भी काम करने का जुनून और हिम्मत है। तो कोई भी काम असंभव नही वह हर एक काम कर सकता है। एक और जहाँ किसान मेहनत तो करते है लेकिन हमेशा प्राकृतिक आपदाओं से उन्हें हानि होती है। और दूसरी और मिलावटी दवाई व् खाद का उपयोग करने से उनकी फसले खराब हो जाती है। और उनके अरमानो पर पानी फिर जाता है।लेकिन अब समय के साथ किसानों को भी फसलो की पैदावार करना चाहिए और मिश्रित खेती एवं जैविक खाद को ज्यादा अपनाना चाहिए। जिले के एक युवा किसान ने लाखों रूपये महीने का इंजीनियर का  पैकेज छोड़कर अपने पिता की मदद करने गॉव आ गया और खेती किसानी को ही लाभ का धंधा बना दिया। उसकी मेहनत लगन और जूनून के कारण आज वह क्षेत्र में एक संपन्न किसान बन गया ।
      हरदा जिले के सोताड़ा निबासी यह परिबार आज खेती में खुशहाल जिंदगी जी रहा है। परम्परागत और उन्नत खेती का फर्क अगर देखना हो तो हरदा जिले के सौताड़ा गाँव में देखा जा सकता है। इस गाँव के युवा किसान अतुल बारंगे ने अपनी आधा एकड़ जमीन में उन्नत खेती के नये प्रयोग से सफलता हासिल की है। अतुल की गाँव में लगभग 30 एकड़ जमीन है। इस जमीन पर परिवार जन कई वर्ष से पारम्परिक खेती करते थे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे अतुल का मन तो गांव के खेतों में भटक रहा था जहां खेती पिता संभाल रहे थे। एक दिन पढाई छोड़कर खुद किसान बन गए। जबकि दूसरे किसान खेती में नुकसान का रोना रो रहे थे। उन्होंने उपलब्ध साधनों से उन्नत खेती शुरू की। मध्यप्रदेष सरकार के  उद्यानिकी मिशन से सन 2015 मे 50 प्रतिशत अनुदान पर 25-25 डिसमिल के दो पॉलीहॉउस बनवाए। एक पालीहाउस पर नौ लाख 35 हजार रूपए का खर्च आया था।  मध्यप्रदेश सरकार की उद्यानिकी मिशन की संरक्षित खेती योजना के माध्यम से 50 प्रतिषत अनुदान प्राप्त हुआ।
  अतुल ने बताया कि प्राप्त अनुदान मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। मै निरंतर इटेलियन खीरे की फसल लगा रहा हूं। 25 डिस्मिल में 2500 से 2800 खीरे का बीज लगता है। जिसका मूल्य लगभग 15 हजार रूपए है। इतना ही खाद और स्प्रे का खर्च आता है। खीरा बीज लगाने से 45 दिन बाद मार्केट में बेचने लायक हो जाता है। उत्पादन भी 45 से 50 दिन तक होता है। बीज अपने पूरे समय में कम से कम 800 किलो और अधिकतम 1200 किलो का उत्पादन देता है। बाजार भाव 12 से 30 रुपये तक का मिलता है। कम समय में और कम जमीन में अच्छा उत्पादन और मुनाफा होता है। मेरा अनुभव कहता है कि नौकरी के लिए हर दिन आठ घंटे खपाने से बेहतर उतना समय अपनी खेती को दिया जाए तो सफलता निश्चित ही मिलती है। मैने भी यही सोचा अंत में खेती को अपना धंधा बनाया। आज मैं 30 एकड़ में मिश्रित खेती करता हूँ। जिसमें मैं सब्जी और अन्य फसल लगता हूँ। कोशिश रहती है कि रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का ही प्रयोग किया जाए। आज गाँव में इस परिवार का आलीशान घर है। खेती के सभी आधुनिक साधन हैं। खुद का गोबर गैस प्लांट तथा गौ-वंशीय पशु है। पूरा परिवार सम्पन्न तथा खुशहाल जिन्दगी जी रहा है।

No comments:

Post a Comment

PS 15 Dec 2025