*महाराष्ट्र में आरटीआई कानून का घोटा जा रहा है गला*
रिक्त पदों पर कमिश्नरों को नही लाने से भ्रष्टाचार की पोल छुपाने की साजिश
पवित्र समय न्यूज(मुंबई) 21 मार्च 2018
मुंबई-महाराष्ट्र की राजधानी है, लेकिन इसे देश की आर्थिक राजधानी माना जाता है, जो कि आर्थिक तौर पर देश की रीढ़ मानी जाती है, इस मायानगरी में भ्रष्टाचार की माया ऐसी छायी है कि शासन द्वारा RTI का गला घोंटा जा रहा है,
गौरतलब है कि- पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर राज्य में सूचना आयोग के रिक्त पदों को शीघ्र भरने का आग्रह किया है। गांधी के पत्र में यह भी उल्लेख है कि सूचना आयुक्तों को नियुक्त न करके महाराष्ट्र में आरटीआई का दम घोटा जा रहा है।
आरटीआई कमिश्नर रत्नाकर गायकवाड़ के रिटायर के बाद से उनके पद पर अभी तक कमिश्नरों की नियुक्ति नही की गयी है। जिससे आरटीआई कार्यकर्ता में चर्चाएं शुरू है कि फड़नवीस सरकार भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए कमिश्नरों की नियुक्ति नही कर रही है,
अन्य राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र में आरटीआई कानून से बड़े घोटाले उजागर हुए है।
वही मुंबई उपनगर के आरटीआई कार्यकर्ता गणेश जायसवाल ने *पवित्र समय* को बताया है कि पिछले वर्ष से अबतक नागरिकों द्वारा आयुक्त के पास सैकड़ो अपील अर्ज की गयी है, जिनकी सुनवाई लंबित होने के कारण भ्रष्ट अधिकारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है, परिणाम स्वरूप राज्य में विकाश की गति धीमी हो गई है, और महाराष्ट्र बीमारू राज्य बनता जा रहा है,
मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा अन्य तीन आयुक्तों के पद खाली होने के कारण अतिरिक्त भार अजितकुमार जैन के उपर होने से सुनवाई पूर्ण होने में काफी लम्बा समय लग रहा है,
खास बात तो यह है कि अजितकुमार जैन भ्रष्ट अधिकारीयों के पक्षधर माने जाते हैं, जिसके कारण अधिकारियों में सेकंड अपील को लेकर कोई चिंता नहीं होती है, अधिकारी जानबुझकर सूचना देने में टालाटाली करते हैं व दिशाभूल करते हैं, परिणाम स्वरूप कमिश्नर के पास अपीलों की संख्या बढ़ती जा रही है,
राज्य व देश में विकाश की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता वर्ष भर इंतजार करके मायूस हो जा रहे है।
शासन को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए कि जिस तरह इंसान के जिस्म को स्वस्थ रखने में सफ़ेद कण अहम भूमिका निभाते है, ठीक उसी तरह आरटीआई कार्यकर्ता राज्य के विकाश में व नियम पालन सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है,
अब देखना दिलचस्प होगा कि- महाराष्ट्र शासन कमिश्नर के रिक्त पदों को पूर्ति कबतक करती है, या राज्य को बीमार होने तक इन्तजार करती है,
रिक्त पदों पर कमिश्नरों को नही लाने से भ्रष्टाचार की पोल छुपाने की साजिश
पवित्र समय न्यूज(मुंबई) 21 मार्च 2018
मुंबई-महाराष्ट्र की राजधानी है, लेकिन इसे देश की आर्थिक राजधानी माना जाता है, जो कि आर्थिक तौर पर देश की रीढ़ मानी जाती है, इस मायानगरी में भ्रष्टाचार की माया ऐसी छायी है कि शासन द्वारा RTI का गला घोंटा जा रहा है,
गौरतलब है कि- पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर राज्य में सूचना आयोग के रिक्त पदों को शीघ्र भरने का आग्रह किया है। गांधी के पत्र में यह भी उल्लेख है कि सूचना आयुक्तों को नियुक्त न करके महाराष्ट्र में आरटीआई का दम घोटा जा रहा है।
आरटीआई कमिश्नर रत्नाकर गायकवाड़ के रिटायर के बाद से उनके पद पर अभी तक कमिश्नरों की नियुक्ति नही की गयी है। जिससे आरटीआई कार्यकर्ता में चर्चाएं शुरू है कि फड़नवीस सरकार भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए कमिश्नरों की नियुक्ति नही कर रही है,
अन्य राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र में आरटीआई कानून से बड़े घोटाले उजागर हुए है।
वही मुंबई उपनगर के आरटीआई कार्यकर्ता गणेश जायसवाल ने *पवित्र समय* को बताया है कि पिछले वर्ष से अबतक नागरिकों द्वारा आयुक्त के पास सैकड़ो अपील अर्ज की गयी है, जिनकी सुनवाई लंबित होने के कारण भ्रष्ट अधिकारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है, परिणाम स्वरूप राज्य में विकाश की गति धीमी हो गई है, और महाराष्ट्र बीमारू राज्य बनता जा रहा है,
मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा अन्य तीन आयुक्तों के पद खाली होने के कारण अतिरिक्त भार अजितकुमार जैन के उपर होने से सुनवाई पूर्ण होने में काफी लम्बा समय लग रहा है,
खास बात तो यह है कि अजितकुमार जैन भ्रष्ट अधिकारीयों के पक्षधर माने जाते हैं, जिसके कारण अधिकारियों में सेकंड अपील को लेकर कोई चिंता नहीं होती है, अधिकारी जानबुझकर सूचना देने में टालाटाली करते हैं व दिशाभूल करते हैं, परिणाम स्वरूप कमिश्नर के पास अपीलों की संख्या बढ़ती जा रही है,
राज्य व देश में विकाश की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता वर्ष भर इंतजार करके मायूस हो जा रहे है।
शासन को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए कि जिस तरह इंसान के जिस्म को स्वस्थ रखने में सफ़ेद कण अहम भूमिका निभाते है, ठीक उसी तरह आरटीआई कार्यकर्ता राज्य के विकाश में व नियम पालन सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है,
अब देखना दिलचस्प होगा कि- महाराष्ट्र शासन कमिश्नर के रिक्त पदों को पूर्ति कबतक करती है, या राज्य को बीमार होने तक इन्तजार करती है,
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