राष्ट्रपति सचिवालय ने स्वीकार की पत्रकार शेख वसीम की याचिका
- गौवंश संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय को कार्रवाई करने, चीफ सेक्रेट्री मप्र शासन को आवश्यक कदम उठाने के दिए निर्देश
पवित्र समय न्यूज़
नईदिल्ली/खंडवा गौवंश संरक्षण कानून का सख्ती से पालन कराने, मप्र सहित देशभर में गौवंश तस्करी रोकने एवं गौवंश तस्करों को कठोर सजा दिलाने के लिए मजबूत और सशक्त कानून बनाने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका लगाई थी जिसे राष्ट्पति सचिवालय ने स्वीकार की है।
खंडवा के युवा पत्रकार एवं खबर एक्सपोज के संपादक शेख वसीम अपनी तीखी और निष्पक्ष लेखनीय के लिए जिले में ही नही पुरे प्रदेश में पहचाने जाते है। सामाजिक और जनहित के मामले इस युवा पत्रकार ने हमेशा बढ़ चढ़कर उठाये है। क्षेत्र में फिर एक बार इनके द्वारा एक जनहित याचिका लगाई गई थी 17 जून 2017 को तात्कालीन राष्ट्रपति प्रणब जी मुखर्जी जी के नाम लिखी गई चिट्ठी को राष्ट्रपति सचिवालय ने याचिका मानते हुए स्वीकारा है। चिट्ठी में गौवंश संरक्षण कानून का सख्ती से पालन कराने, मप्र सहित देशभर में गौवंश तस्करी रोकने एवं गौवंश तस्करों को कठोर सजा दिलाने के लिए मजबूत और सशक्त कानून बनाने की मांग उठाई गई थी।
याचिकाकर्ता को भेजी ऑफिस मेमोरेंडम की कॉपी
राष्ट्रपति सचिवालय ने चिट्ठी पर याचिका की तरह संज्ञान लिया जाकर इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा याचिका का जिक्र करते हुए केंद्रीय पशुपालन विभाग कृषि मंत्रालय भारत सरकार के सचिव को 21 सितंबर को ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया था। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति सचिवालय के नाम भेजी याचिका पर आवश्यक कार्रवाई की जाए। इसकी एक प्रति मप्र शासन के चीफ सेक्रेट्री को भी पहुंचाकर आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है। ऑफिस मेमोरेंडम की एक प्रति याचिकाकर्ता पत्रकार शेख वसीम को भी गृह मंत्रालय द्वारा पहुंचाकर सूचित किया गया है।
ये लिखा था चिट्ठी में
'हमारे देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। देशभर में बड़ी तादाद में लोग गाय के प्रति आस्था, श्रद्धा, भक्ति और सेवा का भाव रखते हैं। लोगों की अपार आस्था का केंद्र होने के बावजूद देशभर में गौवंश की तस्करी कर बूचड़खाने तक पहुंचाने के मामले बड़ी संख्या में प्रकाश में आ रहे हैं। इससे आमजन मानस की भावनाएं आहत हो रही हैं। मप्र से बड़ी संख्या में गौवंश की तस्करी धड़ल्ले से जारी है। राजमार्गों के जरिए गौवंश को पड़ोसी राज्यों में भेजा जा रहा है। सूखा और अतिवर्षा के कारण आर्थिक रूप से असक्षम हो चुके भोले-भाले किसानों से औने-पौने दामों पर गौवंश को खरीदकर बूचड़खानों तक पहुंचा दिया जाता है। गौवंश की रक्षा के लिए मप्र सहित देशभर के विभिन्न राज्यों में गौवंश संरक्षण कानून अस्तित्व में हैं, लेकिन कानून के लचीलेपन और कानूनी धाराओं के दांवपेचों का फायदा उठाकर गौवंश तस्कर और इनसे जुड़े लोग आसानी से बच निकलते हैं या फिर जमानत पर छूटने के बाद फिर गौवंश तस्करी के कारोबार में जुट जाते हैं। पिछले दो दशक में देश में गौवंश तस्करी के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। गौवंश की तस्करी और बूचड़खानों में निर्दाेष मूक गौवंश के वध होने के कारण आम व्यक्ति और आस्था रखने वालों की भावनाएं आहत होती हैं। ऐसी स्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए देश में गौवंश तस्करी रोकने और बूचड़खानों से बचाने के लिए एक सशक्त और मजबूत कानून की सख्त आवश्यकता है।'
मप्र सहित देशभर में रोकी जाए गौवंश तस्करी
चिट्ठी में मांग उठाई गई कि मप्र सहित देशभर में गौवंश की तस्करी रोकने के लिए कदम उठाए जाएं। विभिन्न राज्य सरकारों को गौवंश संरक्षण कानूनों का सख्ती से पालन करने के लिए निर्देशित किया जाए। गौवंश के संरक्षण के लिए एक ऐसा कानून तैयार किया जाए जिससे गौवंश की तस्करी करने वाले और बूचड़खाने तक ले जाने वाले आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके। इस कदम से जहां एक तरफ देश को समृद्धशाली बनाने वाले गौवंश का संरक्षण होगा वहीं करोड़ों लोगों की आस्था भी आहत नहीं होगी।
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