*आरे कॉलोनी के जंगलों में रहने वाले निवासियों का बुरा हाल*
पवित्र समय न्यूज़(मुंबई) १०/०६/२०२०
मुंबई- आज देश 21 वीं सदी में पहुंच चुका है।लेकिन मुंबई के पश्चिम उपनगर में स्थित गोरेगांव के आरे कॉलोनी में विगत कई वर्षो से रहने वाले लगभग 3 लाख परिवारों का हाल बेहाल है। बताया जाता है कि आरे कॉलोनी के जंगलों में रहने वाले लोगों को शासन प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की मदद न दिए जाने से वहाँ के आदिवासी आज भी विकास से कोसों दूर हैं ।
प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के अनुसार आरे कॉलोनी में आज भी पानी, शौचालय और अन्य सुविधाओं की कमी बनी हुई है।बताया जाता है कि यहाँ के आदिवासी बाहुल्य इलाके खम्बाचा पाड़ा ,जीवाचा पाड़ा ,साईं बांगोड़ा की जनसंख्या जहाँ तीन लाख के ऊपर पहुंच गई है वहीं इन आदिवाशियों के लोंगो के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी आज भी देखी जा सकती है। आरे कॉलोनी यूनिट नंबर 29 जीवाचा पाड़ा में पत्रकारों को आनन्द मोघा ने बताया कि आरे कॉलोनी के निवासियों को सरकार द्वारा अन्य झोपड़पट्टियों में मिलने वाली सुविधा से कोसों दूर रखा गया, बिजली,पानी,शौचालय, जैसी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में वर्षो लग गये। थोड़ी बहुत समस्या को राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और आरे कॉलोनी के सीईओ नत्थू राठौड़ ने सरकारी रुपये के गबन करने के उद्देश्य से काम करवाया पिछले तीन वर्षों से आरे में जंगलराज चल रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि देश मे आयी महामारी की मार जब देश वासियों पर पड़ी और ताला बंदी ने गरीबों को भुखमरीकी कगार पर लाकर खड़ा कर दिया।पीड़ित महिलाओं में कुसमी देवी साहनी,सुजान देवी मंडल, राजेश्वरी वाघमारे,सुनीता आनन्द मोघा ने बताया कि पिछले तीन महीनों से सरकार ने लॉक डाउन किया तबसे हमारे घरों में खाने पीने की बड़ी समस्या बनी हुई है। यही नही हम और हमारे बच्चे भुखमरी से गुजर रहे है। यहाँ कुछ सामाजिक संस्थाओं ने खाने तथा राशन का वितरण किया मगर सरकार द्वारा कोई राहत नही मिली ।यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा आया फ्री राशन भी नही दिया गया राशन दुकानदार और अधिकारी वो भी हजम कर गये।
पवित्र समय न्यूज़(मुंबई) १०/०६/२०२०
मुंबई- आज देश 21 वीं सदी में पहुंच चुका है।लेकिन मुंबई के पश्चिम उपनगर में स्थित गोरेगांव के आरे कॉलोनी में विगत कई वर्षो से रहने वाले लगभग 3 लाख परिवारों का हाल बेहाल है। बताया जाता है कि आरे कॉलोनी के जंगलों में रहने वाले लोगों को शासन प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की मदद न दिए जाने से वहाँ के आदिवासी आज भी विकास से कोसों दूर हैं ।
प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के अनुसार आरे कॉलोनी में आज भी पानी, शौचालय और अन्य सुविधाओं की कमी बनी हुई है।बताया जाता है कि यहाँ के आदिवासी बाहुल्य इलाके खम्बाचा पाड़ा ,जीवाचा पाड़ा ,साईं बांगोड़ा की जनसंख्या जहाँ तीन लाख के ऊपर पहुंच गई है वहीं इन आदिवाशियों के लोंगो के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी आज भी देखी जा सकती है। आरे कॉलोनी यूनिट नंबर 29 जीवाचा पाड़ा में पत्रकारों को आनन्द मोघा ने बताया कि आरे कॉलोनी के निवासियों को सरकार द्वारा अन्य झोपड़पट्टियों में मिलने वाली सुविधा से कोसों दूर रखा गया, बिजली,पानी,शौचालय, जैसी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने में वर्षो लग गये। थोड़ी बहुत समस्या को राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं और आरे कॉलोनी के सीईओ नत्थू राठौड़ ने सरकारी रुपये के गबन करने के उद्देश्य से काम करवाया पिछले तीन वर्षों से आरे में जंगलराज चल रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि देश मे आयी महामारी की मार जब देश वासियों पर पड़ी और ताला बंदी ने गरीबों को भुखमरीकी कगार पर लाकर खड़ा कर दिया।पीड़ित महिलाओं में कुसमी देवी साहनी,सुजान देवी मंडल, राजेश्वरी वाघमारे,सुनीता आनन्द मोघा ने बताया कि पिछले तीन महीनों से सरकार ने लॉक डाउन किया तबसे हमारे घरों में खाने पीने की बड़ी समस्या बनी हुई है। यही नही हम और हमारे बच्चे भुखमरी से गुजर रहे है। यहाँ कुछ सामाजिक संस्थाओं ने खाने तथा राशन का वितरण किया मगर सरकार द्वारा कोई राहत नही मिली ।यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा आया फ्री राशन भी नही दिया गया राशन दुकानदार और अधिकारी वो भी हजम कर गये।
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