*आरएनआई में रजिस्टर्ड समाचार पत्र को आर्थिक सहायता के लिये सांसद राहुल शेवाले ने प्रधनमंत्री तथा सूचना व प्रसारण मंत्री को लिखा पत्र*
पवित्र समय न्यूज़(मुंबई) ३०/०६/२०२०
मुंबई-कोरोना महामारी ने देश के सभी वर्गों की कमर तोड़ दी जिसमें मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग के लोग घुट-घुट कर जीने को मजबूर है। गरीब वर्गों के लोगों के लिये तो हर तरह से मदद पहुंचाने के लिये सामाजिक संस्थाएं लॉक डाउन शुरू हुआ तब से जुटी हुई है। फिर भी कुछ लोगों को राहत नही मिल रही है,भुखमरी के दौर में मध्यम वर्ग शर्म के कारण अपनी पीड़ा मन मे रखकर डिप्रेशन में चल रहे । यही हाल पाक्षिक,मासिक,त्रैमासिक समाचार पत्रों का भी है जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे है। पिछले दिनों कोरोना महामारी से आर्थिक तंगी के कारण जमीनी स्तर के पत्रकारों की पीड़ा को पवित्र समय ने प्रकाशित किया था। खबर की गम्भीरता को और अन्य आरएनआई में रजिस्टर्ड समाचार पत्र के दर्द को देखते हुये सांसद राहुल शेवाले ने 23 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर आरएनआई में रजिस्टर्ड पाक्षिक,मासिक त्रेमासिक समाचार पत्रों को 1 लाख से 5 लाख तक आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि कोरोना महामारी से समाचार पत्र जगत आर्थिक रूप से अत्याधिक प्रभावित हुआ है।आरएनआई में रजिस्टर्ड समाचार पत्र पाक्षिक,मासिक,त्रैमासिक समाचार पत्रों को न्यूनतम 1 लाख से लेकर 5 लाख की आर्थिक सहायता की आवश्यकता है।अधिकांश समाचार पत्र आरएनआई में रजिस्टर्ड है। उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये उनके खाते में प्रत्यक्ष सहायता धनराशि भेजी जाए तो वे आर्थिक संकट से उबर सकते है। भले ही यह धनराशि कम है लेकिन यह सहायता उनका मनोबल बढ़ाने के लिये उपयुक्त साबित हो सकती है। गौर करने वाली बात है कि देश मे कोरोना संकट में सासंद राहुल शेवाले ने पत्रकारों के दर्द को समझा और उनको आर्थिक सहायता के लिये पत्र लिखा जबकि पिछले वर्ष ही महाराष्ट्र सरकार ने पाक्षिक,मासिक,त्रैमासिक समाचार पत्रों को सरकारी विज्ञापन से बेदखल कर दिया था जिनकी हालात बहुत ही दयनीय रही है और उसके बाद कोरोना महामारी से आर्थिक तंगी एक चुनौती से कम नही है। अब देखना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कब उनको राहत दे पाते है।
पवित्र समय न्यूज़(मुंबई) ३०/०६/२०२०
मुंबई-कोरोना महामारी ने देश के सभी वर्गों की कमर तोड़ दी जिसमें मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग के लोग घुट-घुट कर जीने को मजबूर है। गरीब वर्गों के लोगों के लिये तो हर तरह से मदद पहुंचाने के लिये सामाजिक संस्थाएं लॉक डाउन शुरू हुआ तब से जुटी हुई है। फिर भी कुछ लोगों को राहत नही मिल रही है,भुखमरी के दौर में मध्यम वर्ग शर्म के कारण अपनी पीड़ा मन मे रखकर डिप्रेशन में चल रहे । यही हाल पाक्षिक,मासिक,त्रैमासिक समाचार पत्रों का भी है जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे है। पिछले दिनों कोरोना महामारी से आर्थिक तंगी के कारण जमीनी स्तर के पत्रकारों की पीड़ा को पवित्र समय ने प्रकाशित किया था। खबर की गम्भीरता को और अन्य आरएनआई में रजिस्टर्ड समाचार पत्र के दर्द को देखते हुये सांसद राहुल शेवाले ने 23 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर आरएनआई में रजिस्टर्ड पाक्षिक,मासिक त्रेमासिक समाचार पत्रों को 1 लाख से 5 लाख तक आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि कोरोना महामारी से समाचार पत्र जगत आर्थिक रूप से अत्याधिक प्रभावित हुआ है।आरएनआई में रजिस्टर्ड समाचार पत्र पाक्षिक,मासिक,त्रैमासिक समाचार पत्रों को न्यूनतम 1 लाख से लेकर 5 लाख की आर्थिक सहायता की आवश्यकता है।अधिकांश समाचार पत्र आरएनआई में रजिस्टर्ड है। उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये उनके खाते में प्रत्यक्ष सहायता धनराशि भेजी जाए तो वे आर्थिक संकट से उबर सकते है। भले ही यह धनराशि कम है लेकिन यह सहायता उनका मनोबल बढ़ाने के लिये उपयुक्त साबित हो सकती है। गौर करने वाली बात है कि देश मे कोरोना संकट में सासंद राहुल शेवाले ने पत्रकारों के दर्द को समझा और उनको आर्थिक सहायता के लिये पत्र लिखा जबकि पिछले वर्ष ही महाराष्ट्र सरकार ने पाक्षिक,मासिक,त्रैमासिक समाचार पत्रों को सरकारी विज्ञापन से बेदखल कर दिया था जिनकी हालात बहुत ही दयनीय रही है और उसके बाद कोरोना महामारी से आर्थिक तंगी एक चुनौती से कम नही है। अब देखना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कब उनको राहत दे पाते है।
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