Friday, 28 August 2020

पवित्र समय न्यूज

 *महाविकास आघाडी सरकार द्वारा स्नातक परीक्षा के विषय में लिए गए गलत निर्णय के कारण लाखों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर: चंद्रकांतदादा पाटील की प्रतिक्रिया*

पवित्र समय न्यूज़(मुंबई) २८/०८/२०२०


सर्वोच्च न्यायालय के शुक्रवार को आए निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि अब स्नातक के अंतिम वर्ष की परीक्षा होगी। अधिकार क्षेत्र में न होते हुए भी राज्य में परीक्षा रद्द करने का गलत निर्णय लेकर महाविकास आघाडी सरकार लाखों विद्यार्थियों के भविष्य से खेली, जिससे विद्यार्थियों को हुए भयानक मानसिक कष्ट के कारण उच्चशिक्षा मंत्री उदय सामंत को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, ऐसी मांग भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मा. चंद्रकांतदादा पाटील ने की है।

     मा. चंद्रकांतदादा पाटील ने कहा कि, स्नातक की परीक्षा लेने के संबंध में निर्णय लेने के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिकार पर सर्वोच्च न्यायालय ने आज मुहर लगा दी है। यह भी स्पष्ट हुआ है कि, राज्य सरकार को इस संबंध में निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं था। कोरोना के कारण निर्माण हुई परिस्थिति के कारण परीक्षा को आगे किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह से रद्द नहीं किया जा सकता है, यह सब स्पष्ट होते हुए भी महाविकास आघाडी सरकार ने युवा सेना की मांग पर अपने अधिकार से बाहर जाते हुए परीक्षा को रद्द करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जैसे ही घोषणा की ठीक उसके पीछे-पीछे इस विषय में सरकारी निर्णय भी जून महीने में जारी हो गया। परिणामतः स्नातक के अंतिम वर्ष में सम्मिलित होनेवाले राज्य के लाखों विद्यार्थी असावधान हो गए। अब सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से परीक्षा होगी, जिससे अब विद्यार्थियों को फिर से तैयारी करनी होगी। इन सभी अनिश्चितताओं के कारण विद्यार्थियों का बहुत नुकसान हुआ है। इसकी जिम्मेदारी महाविकास आघाडी सरकार को लेनी चाहिए।

    उन्होंने कहा कि, अंतिम वर्ष की परीक्षा विद्यार्थियों के कॅरिअर की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है। नौकरी मिलने की दृष्टि से विद्यार्थियों का परीक्षा देकर स्नातक होना महत्व का है। इस संबंध में महाविकास आघाडी सरकार द्वारा गलत निर्णय लेते समय मा. राज्यपाल व विश्वविद्यालयों के कुलपति भगतसिंह कोश्यारी ने सरकार को सावधान किया था। भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी पार्टी के रूप में राज्य सरकार की गलती को दिखाया था और सुधार करने के लिए कहा था। राज्य के शिक्षा विशेषज्ञों ने भी इस गलत निर्णय का विरोध किया था। माध्यमों ने भी सरकार की गलती को दिखाया था। इन सब के बावजूद किसी की तो हट्ट के लिए महाविकास आघाडी सरकार ने गलत निर्णय लेकर इसका समर्थन किया। परिणामतः लाखों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग गया है।

 

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