*मीठी नदी की साफ- सफाई अधर में लटकी, कोरोना वायरस से ज्यादा बाढ़ का खतरा *
पवित्र समय न्यूज़ (मुंबई) १६/०७/२०२०
मुंबई-पिछले चार महीनों से घरों में बंद लोग कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे लेकिन महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही जबकि मुंबई शहर के अधिकांश पर- प्रांतीय लोग अपने अपने राज्यों में अपने गांवों को चले गये फिर भी कोरोना मरीज के वही आंकड़े बताये जा रहे है, जो पहले चल रहे थे। जिसको लोग अब ज्यादा गम्भीर नही ले रहे लेकिन जुलाई महीना शुरू होते ही मीठी नदी के किनारे बसे लोगों की चिंता बढ़ गयी। इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण बीएमसी ने भी नालों गटर तथा सड़क के गड्ढे भरने के काम को अधर में छोड़ दिया जिससे मुंबई शहर के निचले हिस्से में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। ज्ञात हो कि 26 जुलाई 2005 को मीठी नदी ने विकराल रूप धारण किया था जिसमें हजारों झोपड़ावासियों को मीठी नदी का कहर झेलना पड़ा। बताया जाता है कि मीठी नदी विहार लेक पवई से निकलकर बांद्रा की खाड़ी में मिल जाती है। और लगभग 13 किलोमीटर के दायरे में फैली है। और उक्त नदी के किनारे पवई मोरारजी नगर,जय भीमनगर,गौतम नगर,तुंगागांव,साकीनाका जरिमरी, क्रांति नगर,बैल बाजार,संदेश नगर,कुर्ला जैसी अनेक झोपड़पट्टी बसी हुई है। जिसमें बीएमसी एस वार्ड, एल वार्ड,तथा एच-पूर्व वार्ड की सीमा आती है। लेकिन तीनों वार्डो के एस डब्ल्यू डी विभाग ने मीठी नदी की साफ-सफाई का काम अधर में छोड़ दिया है। इस पर भाजपा के वार्ड क्रमांक 160 के अध्यक्ष नितिन कांबले ने बताया कि 2005 में मीठी नदी विकास प्राधिकरण बनाया गया था और मीठी नदी के रखरखाव की जिम्मेदारी बीएमसी और राज्य के अधीन आने वाले एमएमआरडीए की थी। लेकिन उस वक्त की तत्कालीन सरकार और बीएमसी की ओर से मीठी नदी के किनारे सुरक्षा दीवार चौड़ीकरण व सर्विस रोड का काम सिर्फ कागजातों पर ही सीमित रखा गया। इसलिये हर वर्ष मीठी नदी के किनारे बसे झोपड़ावासियों को जुलाई महिना आते ही 26 जुलाई की भयानक आपदा की यादें आ जाती है। और इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण घरों में बंद लोगों को कोरोना वायरस से ज्यादा बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। गनीमत है कि जून महीने में बारिश नही हुई और जुलाई महीने के आधा महीना बीत गया अन्यथा बीएमसी की पोल पहले ही खुल जाती लेकिन अभी लगातार बारिश से लोगों की चिंता बनी हुई है।
पवित्र समय न्यूज़ (मुंबई) १६/०७/२०२०
मुंबई-पिछले चार महीनों से घरों में बंद लोग कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे लेकिन महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही जबकि मुंबई शहर के अधिकांश पर- प्रांतीय लोग अपने अपने राज्यों में अपने गांवों को चले गये फिर भी कोरोना मरीज के वही आंकड़े बताये जा रहे है, जो पहले चल रहे थे। जिसको लोग अब ज्यादा गम्भीर नही ले रहे लेकिन जुलाई महीना शुरू होते ही मीठी नदी के किनारे बसे लोगों की चिंता बढ़ गयी। इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण बीएमसी ने भी नालों गटर तथा सड़क के गड्ढे भरने के काम को अधर में छोड़ दिया जिससे मुंबई शहर के निचले हिस्से में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। ज्ञात हो कि 26 जुलाई 2005 को मीठी नदी ने विकराल रूप धारण किया था जिसमें हजारों झोपड़ावासियों को मीठी नदी का कहर झेलना पड़ा। बताया जाता है कि मीठी नदी विहार लेक पवई से निकलकर बांद्रा की खाड़ी में मिल जाती है। और लगभग 13 किलोमीटर के दायरे में फैली है। और उक्त नदी के किनारे पवई मोरारजी नगर,जय भीमनगर,गौतम नगर,तुंगागांव,साकीनाका जरिमरी, क्रांति नगर,बैल बाजार,संदेश नगर,कुर्ला जैसी अनेक झोपड़पट्टी बसी हुई है। जिसमें बीएमसी एस वार्ड, एल वार्ड,तथा एच-पूर्व वार्ड की सीमा आती है। लेकिन तीनों वार्डो के एस डब्ल्यू डी विभाग ने मीठी नदी की साफ-सफाई का काम अधर में छोड़ दिया है। इस पर भाजपा के वार्ड क्रमांक 160 के अध्यक्ष नितिन कांबले ने बताया कि 2005 में मीठी नदी विकास प्राधिकरण बनाया गया था और मीठी नदी के रखरखाव की जिम्मेदारी बीएमसी और राज्य के अधीन आने वाले एमएमआरडीए की थी। लेकिन उस वक्त की तत्कालीन सरकार और बीएमसी की ओर से मीठी नदी के किनारे सुरक्षा दीवार चौड़ीकरण व सर्विस रोड का काम सिर्फ कागजातों पर ही सीमित रखा गया। इसलिये हर वर्ष मीठी नदी के किनारे बसे झोपड़ावासियों को जुलाई महिना आते ही 26 जुलाई की भयानक आपदा की यादें आ जाती है। और इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण घरों में बंद लोगों को कोरोना वायरस से ज्यादा बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। गनीमत है कि जून महीने में बारिश नही हुई और जुलाई महीने के आधा महीना बीत गया अन्यथा बीएमसी की पोल पहले ही खुल जाती लेकिन अभी लगातार बारिश से लोगों की चिंता बनी हुई है।
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